रिसर्च एजेंसी फिच सॉल्यूशंस ने 31 मार्च को समाप्त हो रहे मौजूदा वित्त वर्ष के लिए भारत की आर्थिक विकास दर घटाकर 4.9 फीसदी कर दी है। एजेंसी ने कहा है कि कमजोर घरेलू मांग और कोरोना वायरस के कारण सप्लाई चेन प्रभावित हो सकती है, इस कारण आर्थिक विकास दर में कमी की गई है। हालांकि, एजेंसी ने कहा है कि अगले वित्त वर्ष में विकास दर में सुधार होगा और ग्रोथ रेट 5.4 फीसदी रह सकती है। इससे पहले एजेंसी ने चालू वित्त वर्ष में आर्थिक विकास दर 5.1 फीसदी रहने का अनुमान जताया था। इसके अलावा एजेंसी ने वित्त वर्ष 2020-21 के लिए 5.9% की विकास दर का अनुमान जताया था, अब इसे घटाकर 5.4% कर दिया है। तीसरी तिमाही (अक्टूबर-दिसंबर) में भारत की रियल जीडीपी ग्रोथ 4.7 फीसदी रही है।
उद्योगों की मदद करने में विफल रहा है बजट
एजेंसी ने कहा है कि वित्त वर्ष 2020-21 का केंद्रीय बजट उद्योगों की मदद करने में विफल रहा है। इसके अलावा कई गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) के दिवालिया होने के कारण उद्योग पर भारी दबाव बना हुआ है। व्हीकल और हाउसिंग खरीदारी के लिए ग्राहकों के पास एनबीएफसी एक प्रमुख चैनल होता है। फिच ने कहा है कि चीन में फैले कोरोना वायरस के कारण ऑटोमोटिव और इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादों की सप्लाई चेन प्रभावित हुई है। इससे भारत का निर्यात मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर भी प्रभावित हुआ है। इस कारण उसने विकास दर में बदलाव किया है।
कृषि सेक्टर से मिलेगी विकास दर को मदद
एजेंसी ने कहा है कि वित्त वर्ष 2020-21 में मैन्युफैक्चरिंग और सर्विस सेक्टर में तेजी आएगी। इसके अलावा एजेंसी ने कहा है कि केंद्रीय बजट में कृषि सेक्टर के लिए घोषित की गई योजना से इस सेक्टर को लाभ मिलेगा, जिससे विकास दर को बढ़ाने में मदद मिलेगी। फिच का मानना है कि मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की ग्रोथ आने वाले समय में भी कमजोर रहेगी। भारत की कुल जीडीपी में मैन्युफैक्चरिंग की 14 फीसदी की हिस्सेदारी है।
वाहनों की बिक्री में कमी से ऑटो सेक्टर की विकास दर भी धीमी रहेगी
एजेंसी ने कहा है कि कुल वाहन बिक्री में कमी रहने के कारण आने वाले महीनों में ऑटोमोटिव इंडस्ट्री की ग्रोथ भी धीमी रहेगी। इसके अलावा वाहन उत्पादन में भी कमी दर्ज की जाएगी। जीडीपी में ऑटो इंडस्ट्री का योगदान करीब 7.5 फीसदी है जो मैन्युफैक्चरिंग जीडीपी का करीब आधा है। इसके अलावा कोरोना वायरस के कारण चीन से पार्ट्स की आपूर्ति नहीं होने के कारण भी ऑटोमोटिव और इलेक्ट्रोनिक्स सेक्टर में विनिर्माण गतिविधियां भी धीमी रहेंगी।